बक्सर खबर : न जाने बक्सर को किसकी नजर लग गई है। शांत माने जाने वाली यह धर्म नगरी पिछले चौबीस घंटे से जल रही है। ऐसा क्यों हो रहा है? शायद ही इसका जवाब किसी के पास हो। लेकिन यहां का अमन-चैन खत्म सा हो गया है। हत्याएं तो ऐसे हो रही हैं। मानों लोग नफरत की दवा पी घूम रहें हों। एक सप्ताह के अंदर चार हत्याएं हो चुकी हैं। ऐसा लग रहा है लोगों में कानून का भय नहीं। हत्या करो और फरार हो जाओ। गवाह मिलने से रहा और पुलिस पकडऩे से रही। ऐसी सोच ने शायद अपराधियों का हौसला बढ़ा रखा है। वहीं दूसरी तरफ जनता में बढ़ता आक्रोश प्रशासन के प्रति बढ़ते जा रहे अविश्वास का सबसे बड़ा प्रमाण है।
अक्षम प्रशासन पूरी तरह से अपराध पर अंकुश लगाने में विफल हो रहा है। अपराध के साथ विधि व्यवस्था को नियंत्रित कर पाना भी सरकारी तंत्र के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। सोमवार को उग्र छात्रों द्वारा स्टेशन को तहस-नहस किया जाना प्रमाण है। वहां भी आगजनी हुई और घंटो उपद्रव जारी रहा। घटना के चौबीस घंटे बाद फिर उसी तरह के जनाक्रोश का भड़कना शहर की शांति के लिए गंभीर प्रश्न है। प्रशासन कुछ करे या मूकदर्शक बना रहे। आमजन को इस तरह की घटना का विरोध करना चाहिए। साथ ही अपने बीच पल रहे आपराधिक चरित्र के लोगों से दूरी भी बनानी चाहिए। उत्पात मचाने वालों को कहीं न कहीं से शह मिल रही है। तभी तो वे इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।