बक्सर खबर (माउथ मीडिया)। बतकुच्चन गुरु का फोन आज सुबह आया तो बड़े ही बोझिल शब्दों में बात कर रहे थे। हमेशा चहकने वाले बतकुच्चन की आवाज सुन मुझे हैरानी हुई। बाते भी इधर-उधर की कर रहे थे। कुछ स्पष्ट नहीं बोल रहे थे। मैं समझ गया कुछ परेशान हैं। सो मैंने पूछ लिया। क्या बात है, परेशान हैं क्या? यह सुनते ही वे बोले दू महीना के तपस्या पर पानी फिर गया। लोग ठीक से होली नहीं मनाए। सबको चिंता सता रही थी। फिर लॉकडाउन लगा दिया। सब लोग साथ दिया, दर-दोकान, कल-कारखाना सब बंद कर दिया।
जनता ने एतना कष्ट काटा। सब इ सोच रहे थे। शायद गांव-गिरांव बच जाएगा। लेकिन, ए देश का राजनीति करे वाला सब एतना बोलबाजी किया। आज सबका जान अफतरा में फंस गया है। कल तक जौन समस्या बड़े-बड़े शहर में रहा। आज उ गांव तक पहुंच गया। सुने में आ रहा है। भारी संख्या में लोग आ रहा है। जौन सब के सेंटर में रखा जा रहा है। उ सब गांव में घूम रहा है। अब समस्या कहां-कहां तक जाएगी। कुछ नहीं बुझा रहा है। एतना दिन से सब लोग घर में रह के तपस्या कर रहा था। ओकरा इ सब देश के नेता एक झटका में खतम कर दिया। अब ए देश का भगवाने मालिक हैं। इतना कहते हुए उन्होंने फोन कट कर दिया। मैं भी सोच में पड़ गया। उनकी बाते सही जान पड़ रही थी। पर किया क्या जाए, जब लोग पैदल ही घरों की तरफ निकल पड़े। नोट-माउथ मीडिया बक्सर खबर का साप्ताहिक व्यंग कालम है। जो शुक्रवार को प्रकाशित होता है।