वीडियो : मिलिए बक्सर के उस शख्स से जिसने फुटपाथ पर काटी जिंदगी और अब सौ हाथों को दे रहा काम

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-शून्य से शिखर तक का सफर करने वाले रमेश प्रसाद पुन: अपने शहर खिंच लाई गांव की मिट्टी
बक्सर खबर। आज हम आपको एक ऐसे शख्स से मिलाने जा रहे हैं। जिन्होंने अपनी जिंदगी का सफर फुटपाथ से शुरू किया। एक दो वर्ष नहीं लगातार पन्द्रह वर्षों तक उन्होंने संघर्ष भरा जीवन व्यतीत किया। लेकिन, अपनी मेहनत व लगन के बल पर उन्होंने आज वह मुकाम हासिल किया है। जो पचास से अधिक लोगों को रोजगार दे रहे हैं। शून्य से शिखर तक का सफर करने वाले शख्स का नाम है रमेश कुमार। जीवन में सफलता पाने के बाद बहुत से लोग अपनी जमीन से दूर हो जाते हैं। लेकिन, रमेश कुमार को अपने गांव, शहर और मातृभूमि से इतना लगाव है कि वे वापस अपने गांव, शहर लौट आए हैं। उनका मानना है आज मैं गांव वापस आया हूं। मुझे देखकर बेटे भी एक दिन गांव आएंगे। अन्यथा अगर मैं अपनी माटी से दूर रहा तो वे भी अपनी जन्मभूमि से दूर हो जाएंगे।

सिलाई कारीगर के रूप में शुरू किया था जीवन का सफर
बक्सर खबर। रमेश मूल रूप से केसठ गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता मोहन प्रसाद बारी कोलकाता में नौकरी करते थे। पिता 1984 में सेवानिवृत्त हो गए। वहां से सभी लोग गांव लौट आए। रमेश तब तक मैट्रिक की परीक्षा पास कर चुके थे। अब उनके कंधे पर घर की जिम्मेवारी भी आ गई थी। लेकिन, उन्होंने कहीं नौकरी नहीं की। सिलाई का काम सीखा और उसी हुनर के साथ बक्सर से दिल्ली चले गए। वहां डेढ़-दो वर्ष तक काम किया। लेकिन, 10 से 12 घंटे का काम, कम मानदेय और महंगे शहर का खर्च उन्हें रुलाता रहा। अंतत: उन्होंने फैसला किया। स्वयं का काम शुरू करेंगे। और पहुंच गए चंडिगढ़। कुछ पैसे जमा हुए थे। जिससे उन्होंने सिलाई मशीन खरीदी। लेकिन, उनके पास काम नहीं था। तब फुटपाथ पर बैठ गए और पुराने कपड़े सिलने लगे। अपनी पत्नी और दो बच्चों को भी वे वहां ले गए। जिनके भरण पोषण और पढ़ाई में सारे पैसे खर्च होते गए। लेकिन, बेटे बड़े होने लगे और पिता के काम में उन्होंने हाथ बटाना शुरू किया। फिर क्या था, यहीं से उनका जीवन बदला। छोटी से दुकान ली और कारोबार शुरू किया। बड़े बेटे के नाम से पंकज टेलर्स की दुकान उन्होंने खोली जो चल निकली। उन्होंने चंडीगढ़ के सेक्टर 17 के मॉल में शोरूम खोला, फिर हरियाणा के पंचकूला में। और अब बक्सर के एंबेडसर होटल के सामने उन्होंने उसी नाम से पंकज टेलर्स और लगन साड़ी के नाम से शोरूम तैयार कराया गया है। आइए अब हम जानते हैं रमेश भाई से। कोई बेरोजगार व मेहनतकश नौजवान सफल होने के लिए क्या करे। 

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