-दोनों आंखों की रोशनी गवां चुके युवक को मदद दिलाने की शुरू की मुहिम
बक्सर खबर। कहते हैं न उम्मीद पर दुनिया कायम है। अगर आप हिम्मत नहीं हारते हैं तो दूसरे लोग भी आपकी मदद करते हैं। ऐसा ही हुआ है कमलेश कुमार चौबे के साथ। आंखों की रोशनी गवां चुके कमलेश का जीवन इतना दुभर हो गया था कि उसने मौत को गले लगाने का मन बना लिया था। लेकिन, इसी बीच उसकी मुलाकात पूर्व सैनिक संघ के अध्यक्ष हरेन्द्र तिवारी व उपाध्यक्ष सूबेदार विद्यासागर चौबे से हुई। उसने बताया मेरे पिता सिद्धनाथ चौबे सेना में कार्यरत थे। जब तक माता-पिता थे। कोई परेशानी नहीं हुई। लेकिन, वर्तमान हाल यह है कि उसे अपनी जीवन की गाड़ी चलाने के लिए लोगों के सामने हाथ फैलाना पड़ रहा है।
पूर्व सैनिक संघ बक्सर के पदाधिकारियों ने बताया कि अगर किसी सैनिक की संतान दिव्यांग है तो उसे भी पारिवारिक पेंशन देने का प्रावधान है। हम इस युवक की समस्या पीसीडीएस प्रधान नियंत्रक प्रयागराज राजीव रंजन जी को इसकी जानकारी दी है। उन्होंने विश्वास दिलाया है। जल्द ही इसकी पेंशन शुरू हो जाएगी। हालांकि कमलेश की शादी हो चुकी है। उसके बच्चे भी हैं। रविवार को उसे भी सैनिक संघ के सदस्यों ने बक्सर की मासिक बैठक में बुलाया था। जहां उसने अपनी दर्द भरी दास्तां सुनाते हुए कहा कि अब मेरे मन में एक विश्वास जगा है। शायद मुझे जीवन जीने का सहारा मिल सकेगा।