गंगा से थर्मल पावर को जाएगा पानी, किसानों ने जताया विरोध

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-मुआवजे को लेकर उठे सवाल, प्रशासनिक हस्तक्षेप से शुरू हुआ काम
बक्सर खबर। चौसा में बन रहे थर्मल पावर को पानी की आवश्यकता होगी। क्योंकि कोयले और पानी की सहायता से ही बिजली का उत्पादन होगा। इसके लिए एसजेवीएन द्वारा चौसा के महादेवा घाट के समीप पंप हाउस बनाया जाना है। चिह्नित भूमि पर सोमवार को काम भी शुरू हो गया। लेकिन, जैसे ही वहां अधिकारी मशीन लेकर पहुंचे। सैकड़ों की संख्या में किसान भी एकत्र हो गए और योजना का विरोध करने लगे। क्योंकि जिस भूमि पर इसका निर्माण हो रहा है। तथा जिस रास्ते पाइप लाइन रेलवे को पार करते हुए चौसा थर्मल तक जाएगी। उसमें किसानों की भूमि का इस्तेमाल होगा।

लेकिन, उन्हें अभी तक उसका मुआवजा नहीं मिला है। हालांकि विभाग 2013 के सर्वेक्षण के आधार पर मुआवजा देने की बात कह रहा है। लेकिन, किसानों का कहना है, सड़क किनारे की भूमि का बाजार मूल्य ज्यादा है। नौ वर्ष पुराने दर पर किसान मुआवजे का भुगतान स्वीकार नहीं करना चाहते। विरोध प्रकट कर रहे किसान उस भूमि पर जाकर बैठ गए। जहां मशीन खुदाई कर रही थी। मौके की नजाकत को देखते हुए वहां अनुमंडल दंडाधिकारी दीपक कुमार को भेजा गया। उन्होंने किसानों से बात की और कहा कि आप लोग मिल बैठकर बात करें। प्रशासन किसानों की बात पर जरुर ध्यान देगा। लेकिन, जो नियम अनुकूल होगा। उसके हिसाब से सबको चलना होगा।

वहीं दूसरी तरफ चौसा गोला के समीप स्थित हनुमान मंदिर के पास किसान न्याय संघर्ष समिति संगठन के अध्यक्ष जगनारायण सिंह के नेतृत्व में बैठक हुई। जिसमें तय किया गया कि भले ही हमें न्यायालय जाना पड़े। लेकिन, 2022 के मौजूदा दर के अनुरूप मुआवजा लेकर ही हम मानेंगे। अन्यथा किसान अपनी भूमि नहीं देंगे। इस दौरान पूर्व विधायक जमानियां प्रतिनिधि परीक्षित सिंह, पूर्व मुखिया बृजबिहारी सिंह, राजद मजदूर प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष अर्जुन यादव, डॉ विजय सिंह, रामनगीना सिंह, शैलेश राय, सुरेश सिंह अनेक किसान बैठक में शामिल हुए। दूसरी तरफ दोपहर बाद मौके पर पुलिस फोर्स तैनात कर काम शुरू करा दिया गया।

1 COMMENT

  1. नियमतः, गंगा नदी से पावर प्लांट मे पानी जाने के लिए किसान के जमीन का अधिग्रहण के लिए जिस दिन गजेट नोटिफिकेशन हुआ उसी दिन के हिसाब से किसान को जमीन का मुआबजा मिलेगा।
    लेकिन किसान के एकजुटता के आभाव मे सरकार भी अक्सर लोगो को ठगने का कार्य करती है
    किसान को चाहिए की वो कोर्ट से सहायता मांगे तभी नयाय मिलेगा, अफसरशाही आपको नयाय नही देगा

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