बक्सर खबर : आपके सामने इस सप्ताह हैं विनोद कुमार यादव। एक ऐसा व्यक्ति जो किसी का विरोधी नहीं सबका साथी है। अपने जीवन में अनेक उतार चढ़ाव देख चुके विनोद ने कभी सच का साथ नहीं छोड़ा। जो कल साथी थे वे आज भी हैं। यह फलसफा उसके जीवन का भी और प्रोफेशन का भी। जिस अखबार के लिए काम शुरु किया। उसी के साथ शुरु से लेकर आज तक का सफर जारी है। जी हां हमारे साथ हैं चौसा के सुलझे हुए पत्रकार विनोद कुमार। जो लंबे समय से प्रभात खबर के लिए काम कर रहे हैं। बक्सर खबर ने अपने साप्ताहिक कालम इनसे मिलिए के लिए बात की। विनोद हंसते हुए कहतें हैं हम उसी के साथ हैं जो सही है। हमने कभी गलत का साथ नहीं दिया। न किसी के लिए पैरवी की। जो मिलता है उसमें खुश हैं। हमें किसी से शिकायत नहीं हैं। प्रस्तुत हैं उनका संक्षिप्त जीवन परिचय।
पत्रकारिता जीवन
बक्सर : विनोद ने वर्ष 2004 में चौसा से पत्रकारिता शुरु की। उस समय विवेक सिन्हा प्रभात खबर के कार्यालय प्रभारी थे। अच्छे व्यक्ति का साथ मिला। विनोद ने भी उनका अनुकरण किया। लेखनी और व्यक्तित्व दोनों में निखार आया। तब से वे उसी बैनर के लिए लिखते आ रहे हैं। वे बताते हैं पहले डाक से खबरें भेजते थे। अक्सर स्वयं भी बक्सर जाया करते थे। जाने से पहले चौसा की कई खबरें रात को जाग कर लिख लिया करते। उसे कार्यालय में पहुंचाते अथवा किसी के हाथ भेज देते थे। हमेशा से उन्होंने जन सरोकार की खबरों को प्रमुखता दी। आज भी वैसी खबरों को ही पसंद करते हैं। जो आम जन के हित में हों। इस बीच परिवार की जिम्मेवारियां बढ़ी। विनोद हमेशा से के लिए चौसा के होकर रह गए। वे बताते हैं मेरे दो साथी और भी हैं। हिन्दुस्तान के सुधीर और जागरण के मो. मोइन। इन साथियों ने मुझे इतना सहयोग किया कि कभी खबरों को लेकर तनाव में नहीं रहा। मैं यही कहता हूं। हर पत्रकार को लेखनी के स्तर से हमेशा समाज हित में काम करना चाहिए। क्या मिलता हैं क्या नहीं मिलता। इसका मलाल मन में नहीं रखना चाहिए। क्योंकि ग्रामीण पत्रकारिता कमाई का जरिया नहीं। यह तो समाज के अंतिम पायदान पर रहने वाले लोगों की आवाज उठाने का माध्यम है। हमें इसका मौका मिला है। इसे अपना कत्र्तव्य मान लगन से काम करना चाहिए।
व्यक्तिगत परिचय
बक्सर : विनोद का जन्म 1 मार्च 1978 को चौसा में हुआ। डा. बीडीसी सिंह के वे तृतीय पुत्र हैं। 1992 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण कर वे एमवी कालेज से स्नातक डिग्री धारी बने। इसी बीच उनकी शादी 1998 में हो गई। पत्नी ऐसी मिली जिसने हर कदम पर उनका साथ दिया। आज वे दो पुत्रियों और एक पुत्र के पिता होने का गौरव लिए सीना तान चौसा बारे मोड़ पर अक्सर मिल जाते हैं। मिलते ही हंसते हुए कहतें हैं क्या भाई, का हाल बा। यह है विनोद कुमार, चौसा से।