बक्सर खबर। भारतीय संस्कृति का महान हरितालिका तीज व्रत बुधवार को मनाया जाएगा। इसकी झलक आज बाजार से लेकर हर घर में देखने को मिली। अपने पति की सलामती के लिए सुहागन स्त्रियां यह व्रत रखती हैं। बालू से निर्मित शिवलिंग बनाकर माता पार्वती के साथ उनकी आराधाना का विधान है। यह भारतीय व्रतों में कठिन व्रत के नाम से भी जाना जाता है। चौबीस घंटे तक महिलाएं बगैर पानी ग्रहण किए व्रत रखती हैं। इस बार व्रत कब प्रारंभ हो रहा है। अथवा व्रत का पारण कब होगा? यह पूछने पर पंडित नरोत्तम द्विवेदी ने बताया 12 सितम्बर को प्रात: से संध्या 6: 46 तक पूजा की जा सकती है। इसे भाद्र पद की तृतीया तिथि को चित्रा नक्षत्र में मनाया जाता है। अगले दिन सुबह पूजा के साथ व्रत पूर्ण होता है।
क्या है व्रत का विधान
बक्सर खबर। व्रत को करने का विधान बहुत की कठोर है। ऐसी मान्यता है इसे कभी माता पार्वती ने भगवान शंकर को पाने के लिए किया था। इस वजह से सुहागिन महिलाओं के साथ कुंवारी कन्याएं भी अच्छे पति की मनोकामना के साथ व्रत रखती हैं। शिव, पार्वती एवं गणेश की प्रतिमा मिट्टी अथवा बालू से बनाते हैं। उनकी पूजा कर अखंड सौभाग्य की मनोकामना की जाती है। बिहार और यूपी के कुछ जिलों में ऐसी मान्यता है कि महिलाएं थूक भी नहीं घोंट (निगल ) सकतीं हैं।
श्रृंगार का है विशेष महत्व
बक्सर खबर। सुहागिन स्त्रियों के लिए तीज व्रत में श्रृंगार का विशेष महत्व बताया गया है। इस लिए महिलाएं नए वस्त्र पहन, सजधज कर फल आदि का प्रसाद चढ़ा भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं।
बाजार में खरीदारी करती महिलाएं