पहले यहां छोटा से मंदिर था। जहां शिवशंकर उपाध्याय नाम के तपस्वी साधु रहते थे। जिन्हें संत महात्मा चैतन्य जी महाराज अथवा ग्रामीण लोग ठाकुर जी के नाम से जानते थे। हाल के ही वर्षो में परमपद को प्राप्त हो गए। उनके द्वारा यहां वर्ष 2010 में नया मंदिर बनवाया गया। संभवत: यह बिहार से सबसे ऊंचे मंदिरों में एक है। यह मंदिर अब लोगों की आस्था का केन्द्र बन गया है।
पर्यटक क्षेत्र घोषित करने की मांग
बक्सर : आस्था का केन्द्र बना यह मंदिर डुमरांव के सबसे विख्यात स्थानों में एक है। यहां प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में बाहर से ऐसे श्रद्धालु आते हैं। जो मंदिर में रात गुजारते हैं। नतीजा मंदिर प्रबंधन और आस-पास के ग्रामीण इससे परेशान से हो गए हैं। दूर से आए लोगों की मदद करना भारतीय संस्कार का हिस्सा है। भीड़ इतनी हो रही है। जिससे लोग संभाल नहीं पा रहे। व्यवस्था की बात क्या कहें ग्रामीण बताते हैं। जैसे-तैसे लोग मंदिर में रात गुजार लेते हैं। लेकिन इतने लोगों को पीने का पानी पहुंचाने में हम लोग परेशान हैं।
सरकार को चाहिए श्रद्धालुओं की भीड़ के अनुसार यहां प्रशासनिक व्यवस्था होनी चाहिए। क्योंकि यहां बक्सर ही नहीं उत्तर प्रदेश और झारखंड के सीमावर्ती जिलों से हजारों की संख्या में लोग आते हैं। इनकी सुरक्षा व व्यवस्था को लेकर हमेशा भय बना रहता है। युवा नेता सह सिकरौल मुखिया विभोर द्विवेदी बताते हैं यहां की व्यवस्था और विकास पंचायत के बस की बात नहीं। जिला प्रशासन और सांसद-विधायक को इसके लिए पहल करनी चाहिए। इतना तो जरुर है। यहां व्यवस्था नहीं हुई तो आने वाले दिनों में जिले की बदनामी गैर प्रदेशों में भी होगी। सरकार को इसे बखोरा-पुर और मुंडेश्वरी के तहत विकसित किया जाना चाहिए।
कंजिया निवासी राधाकृष्ण सिंह व बबन गोड़ कहते हैं। प्रशासन से मदद की उम्मीद लगाए बैठे हैं। इस स्थान का नाम अब कंजिया धाम पड़ गया है। जो नावानगर प्रखंड की सीमा में आता है। यहां पिछले 15 दिन से आने वाले भक्तों का भंडरा का इंतजाम मुखिया विभोर कर रहे है। भक्तों के सेवा में राजेन्द्र सिंह, डब्लू दूबे, मिन्टू सिंह, चंदन सिंह, बिटू सिंह, बबन सिंह, संतोष शाह, बनासरसी चैबे समेत दर्जनों लोग लगे हुए है।