बक्सर खबर : रक्षाबंधन का त्योहार आज भारत वर्ष में मनाया जा रहा है। बक्सर खबर की तरफ से भी सभी पाठकों को शुभकामना। भारतीय संस्कृति के पर्व-त्योहार सीख देने वाले होते हैं। सबके पीछे महान प्रेरणा और संस्कार के बीज छीपे होते हैं। लोको पचार में इनसे जुड़ने वाले लोग धीरे-धीरे इनकी महता को जानते हैं। इनमें से ही एक महान त्योहार रक्षाबंधन का है। अपनी संस्कृति में भााई बहन के लिए जगत विख्यात यह त्योहार इतना लोकप्रिय है कि हर धर्म व वर्ग में रहने वाले भाई बहन इसे किसी ने किसी रुप में जरुर मनाते हैं। भले ही वह शुभकामना तक ही सिमित क्यूं न हो।
इसके पीछे कई कहानियां हैं। ऐसा कहा जाता है प्रथम काल खंड सतयुग में मांता लक्ष्मी ने रक्षा सूत्र त्रिलोक विजेता राजा बली को बांधी थी। भाई ने वचन स्वरुप नारायण को वहां से मांता लक्ष्मी के साथ विदा किया था। क्योंकि भगवान विष्णु वामन रुप में राजा बली से तीनों लोक दान स्वरुप प्राप्त कर चुके थे। जब तीसरे पग के लिए भूमि शेष नहीं बची तो बली ने अपना शरीर प्रभु को समर्पित कर दिया। इससे प्रशन्न भगवान ने कहा। आप महान दानी हैं, वरदान मांगे। तब राजा बली ने कहा प्रभु कुछ नहीं चाहिए। बस इतनी इच्छा है जब आंखे खुले तो आपके दर्शन हों। भगवान विष्णु भक्त की बात मान गए। जहां राजा बली रहते थे। वहीं भगवान ने डेरा डाल लिया। उनको पुन: प्राप्त करने के लिए मांता लक्ष्मी ने यह यतन किया। ऐसी मान्यता है कि भगवान वामन का जन्म स्थान वेदगर्भापुरी में हुआ था। उनके पिता महर्षी कश्यप यहीं रहते थे। आज भी भगवान वामन का मंदिर केन्द्रीय जेल परिसर में विद्यमान है। इस लिए ऐसा कहा जाता है कि रक्षा बंधन के त्योहार की कहानी भी बक्सर से जुड़ी है।
Nic information.
Thanks for information ese hi Hume khabar krte rhe. .