बक्सर खबर : सावन माह में लोक परंपरा के तहत गांव-गांव कजरी का गायन होता रहा है। लेकिन यह परंपरा वक्त के साथ समाप्ति की तरफ बढ़ रही है। इस पारंपरिक व्यवस्था को जीवंत करने के लिए पिछले ग्यारह वर्षो से आनंद संगितालय लगा हुआ है। इस वर्ष भी गीता मंदिर में रविवार को कजरी महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता श्रीनिवास दुबे अपरिचित ने की। संचालन शिव बहादुर पांडेय प्रीतम ने किया। विशिष्ट अतिथि के तौर पर श्रीभगवान पांडेय निराश उपस्थित रहे। इन विद्वत जनों की मौजूदगी में महोत्सव प्रारंभ हुआ। जिसे संबोधित करते हुए संस्थापक सह प्राचार्य डा. प्रभंजन भारद्वाज ने कहा 2005 में लोक परंपरा को बचाने के लिए इसकी शुरुआत की थी। आज खुशी है, जिस उद्देश्य से इसकी नीव रखी गई थी। आज वह साकार रुप में दिख रही है।
श्रीश चन्द्र उपाध्याय के बरसाती राग मियां का मल्हार से इसकी शुरुआत हुई। गरज कर आए रे बदरिया एवं ठुमरी के रूप में मोरे सैंयां बुलावे आधी रात को। गाकर कार्यक्रम का जिवंतता प्रदान की। इसके अलावा ब्रजेश कुमार चौबे, श्रीभगवान पांडेय, रुपम दुबे, शिवांगी पांडेय, निरंतन दुबे, दामिनी, विद्या यादव, चंदन राज, अनूप प्रसाद, संजीव तिवारी, कुमारी सुमन, आदिति, राकेश मिश्रा, अखिलेश मिश्रा तथा रामेश्वर पांडेय ने कजरी गाया। तबला पर देवेश दुबे, अनुराग मिश्रा, नाल पर चंदन तिवारी एवं भगवान पांडेय, हारमोनियम पर संजीव तिवारी ने योगदान किया। रामेश्वर मिश्र ने सभी को धन्यवाद के साथ कार्यक्रम संपन्न कराया।