बक्सर खबर : जब कोई सरकार सत्ता में आती है। तो उसका वादा होता है। जनता को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा। अपने राज्य के मुखिया ने तो इसे सात निश्चय में इसे शामिल किया है। लेकिन उनकी ही सरकार के विधायक और मंत्री अपने जिले की समस्या पर नहीं बोलते। नोट बंदी पर धरना देने वाले स्थानीय विधायक को शायद अब यह मुद्दा याद नहीं रहा। ब्रह्मपुर विधानसभा का एक तीहाई हिस्सा जहर पी रहा है। इस मुद्दे पर सारे के सारे लोग खामोश हैं। छह वर्ष पहले सिमरी प्रखंड के केशोपुर में जल शोध संस्थान की नींव रखी गयी थी। लगभग एक अरब रुपये की योजना जन्म लेने के साथ ही कुपोषण का शिकार हो गयी। इससे पचास गांवों को पेयजल उपलब्ध कराया जाना था। पर इसका मौजूदा सच अब किसी को दिखाई नहीं देता। जीन गांवों तक पानी जाना था। वहां के लोग बहुत खुश थे। हमारे घर तक प्यूरिफायर वाटर आएगा। पर सोच सपना बनकर रह गयी। आपूर्ति के लिए लाए गए पाइप अब जहां-तहां जंग खा रहे हैं। कुछ जगह तो इन्हें नाली का पानी निकालने के इस्तेमाल में लाया जा रहा है।
इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए एक बार फिर उम्मीद जगी है। इस क्षेत्र के रहने वाले युवा नेता विजय मिश्रा ने इसका ज्ञापन राज्यपाल को सौंपा। राजभवन से उनके ज्ञापन को तत्काल राज्य सरकार को भेजा गया। जिसके बाद से सरकार के कान खड़े हो गए हैं। यह पक्ष भी रखा गया है कि यह योजना केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित है। इसकी सूचना सिमरी की जिला पार्षद रामावती देवी को भेजी गयी है। रामावती देवी विजय मिश्रा की मां हैं। इसका उल्लेख करते हुए विजय मिश्रा ने कहा। पानी हर एक आदमी की जरुर है। इसके लिए मैने केन्द्र सरकार का दरवाजा भी खट्खटाया है। प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है। मिश्रा ने कहा यहां का जिला प्रशासन पूरी तरह लापरवाह है। अनुश्रवण समिति की बैठक में दो इस विषय काे रखा गया। मां रामावती देवी ने स्वयं इसे सदन के सामने रखा। पर यहां से पहल तो दूर उसका जवाब भी नहीं दिया गया। मिश्रा इसके लिए क्या करते हैं, यह तो उनकी लगन और जन सेवा का भाव जानें। पर यहां हम स्थानीय जन प्रतिनिधियों से यह जानना चाहते हैं। मैं विधायक बनुंगा तो यह करुंगा…., मैं सांसद बना तो यह करुंगा…? आखिर उन लोगों की आंख और कान को क्या हो गया है। जो जनता की समस्या दिखाई नहीं दे रही।