बक्सर खबर : सरकार सात निश्चय योजना के तहत घर-घर नल का दावा कर रही है। लेकिन जिले का सच यह है कि स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को पेयजल भी मुश्किल से नसीब हो रहा है। यह समस्या किसी एक विद्यालय की नहीं है। जिले में ऐसे अनेक विद्यालय हैं। जहां या तो चापाकल खराब है, या चलता भी है तो उससे निकलने वाला पानी पीने के लायक नहीं है। सदर प्रखंड का सोंधिला मध्य विद्यालय इनमें से एक है। यहां मध्य विद्यालय होने के बावजूद एक चापाकल है। वह भी ऐसा है जिसके पानी का उपयोग करने के लायक नहीं है। इस स्थिति से विद्यालय के शिक्षकों ने पूर्व में ही प्रशासन को अवगत करा दिया था। जांच में भी पानी को उपयोग के लायक नहीं पाया गया। बावजूद इसके समस्या जस के तस है।
यही हाल राजपुर प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय बभनी का है। यहां लगा इकलौता चापाकल पिछले दो वर्ष से खराब स्थिति में है। इसकी शिकायत लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग से लेकर, मध्यान भोजन व सर्व शिक्षा अभियान कार्यालय से की जा चुकी है। स्कूल के शिक्षकों के अनुसार गांव के चापाकल से पानी रोज पानी लाना पड़ता है। तब जाकर बच्चों के लिए मध्यान भोजन तैयार होता है। लंच के समय में बच्चे दूर गांव में पानी पीने जाते हैं। वहीं प्रशासन के दावे हैं कि सरकार हर घर नल की योजना चला रही है। लेकिन सच्चाई यह है कि सरकारी स्कूलों में बच्चों को पीने के लिए पानी भी नहीं मिल रहा।