बक्सर खबर : मीडिया से जुड़े लोग जीवन पर्यंत संघर्ष से जूझते रहते हैं। यह क्षेत्र चुनौतियों का सामने करने के लिए है। अगर कोई मेरे विचार जानना चाहे तो मैं कहूंगा। पत्रकारिता जुनून है दलाली का जरिया नहीं। प्रारंभ से लेकर आज तक मैंने इलेक्ट्रानिक मीडिया में काम किया। हमेशा खबरों में आगे रहने की होड़। उसे मारक ढंग से प्रस्तुत करने की बेचैनी। बावजूद इसके अपनी विश्वसनियता के साथ कभी समझौता नहीं किया। यह अनुभव है रवि मिश्रा का। जिले के युवा पत्रकारों में शामिल रवि मिश्रा वर्ष 2001 से पत्रकारिता में हैं। उनके साथ काम कर चुके लोग बताते हैं। कई मर्तबा ऐसा माहौल बना। जब इसने अपनी जान जोखिम में डाल दी। मौजूदा वक्त में ऐसा करना खतरे से खाली नहीं है। रवि मिश्रा से बक्सर खबर ने भी अनुभवों का साझा किया। अपने साप्ताहिक कालम इनसे मिलिए के लिए बात की। प्रस्तुत है इस बातचीत के कुछ मुख्य अंश।
यादगार पल : नक्सली इलाका, आठ जवानों के शव
बक्सर : पत्रकारिता जीवन के यादगार पल के बारे में पूछने पर रवि मिश्रा ने बताया। वर्ष दो हजार पांच की वह काली रात। लोकसभा चुनाव का दौर था। मुझे झारखंड के लातेहार व पलामु जिला में जी न्यूज के संवाददाता के तौर पर कार्य करने के लिए भेजा गया था। मैं उस रात लातेहार में था। एक बजे के लगभग सूचना मिली। पलामु के छतरपुर में नक्सली हमला हुआ है। आठ जवान मारे गए हैं। हमने रात डेढ़ बजे छतरपुर जाने का निश्चय किया। कैमरा मैन ने वहां जाने से इनकार कर दिया। लेकिन जब उसे पत्रकारिता का वास्ता दिया तो वह तैयार हो गया। हम लोग रात तीन बजे सौ किलोमीटर दूर छतरपुर पहुंच गए। कोई बताने वाला नहीं था। थाना पहुंच रास्ते की जानकारी ली। घटना स्थल पर पुलिस और एसपी के पहुंचने से पहले हमारी टीम पहुंची। ध्वस्त वाहन और जगह-जगह बिखरे शव देख कलेजा धक्क कर गया। यह मंजर आज भी याद आता है।
पत्रकारिता जीवन
बक्सर : पत्रकारिता का पहला सफर वर्ष 2001 में प्रारंभ हुआ। मैंने खबरदार इंडिया पत्रिका से अपनी सफर की शुरुआत की। 2002 में पीटीएन से जुड़ गया। वहीं से मैंने पहले क्राइम रिपोर्टर, फिर पीटीएन के न्यूज एंकर, वीडियो एडीटर व संपादक तक का कार्य किया। साथ ही साथ जी न्यूज के लिए कार्य करने का मौका मिलता रहा। इस क्रम में वर्ष 2013 का वह दौर आया। जब जी न्यूज ने अपना रीजनल चैनल चालू किया। मैं अपने गृह जनपद बक्सर आ गया। तब ये यहां हूं और अपने चैनल के लिए कार्य कर रहा हूं। मैं अपने सभी मित्रों से कहूंगा। यह क्षेत्र रुपए कमाने के लिए नहीं है। हमेशा जीवन आदर्श को बनाए रखना चाहिए। मैं बक्सर आने से दो वर्ष पूर्व दिल्ली में भी रहा। एवीएल प्रोडक्शन के लिए कार्य किया।
व्यक्तिगत जीवन
बक्सर : रवि मिश्रा के पिता का नाम सच्चिदानंद मिश्रा है। वे पुलिस पदाधिकारी हैं। उनके पांच पुत्रों में रवि सबसे बड़े हैं। जीवन के इस पड़ाव में उनकी शादी हो चुकी है। वे अब स्वयं एक पुत्र व एक पुत्री के पिता हैं। इटाढ़ी प्रखंड के जिगीना गांव के मूल निवासी हैं। फिलहाल बक्सर पत्रकार संघ के सचिव भी। हम उनके सफल जीवन की कामना करते हैं।