बक्सर खबरः सब के मन में एक ही सवाल शराबबंदी के बाद भी कहां से मिल रही है शराब। इसके लिए कौन जिम्मेदार है। पुलिस या उत्पाद विभाग। जब इस सवाल को बक्सर खबर जबाब जानने के लिए कोशिश की गई। तो पता चला कि बिहार की सबसे बड़ी लड़ाई जिले में बिना मैन पावर की लड़ी जा रही है। पुलिस विभाग सबसे पहले सम्पर्क किया गया। थानाध्यक्ष ने बताया कि क्या करें मैन पावर की थानों में कमी है। इस भेजते है तो उधर से शराब तस्कर पार हो जा रहे है। आखिर कहां करे भरपाई। क्योंकि 40 फिसदी से अधिक लोग इस धंधे में शामील हो गये है। पहचानना भी मुश्किल हो गया है। कौन तस्कर है कौन आम आदमी। उपर से रोज वर्क है ही। जब उत्पाद विभाग के सूत्रों से सम्पर्क किया गया तो उनका भी जबाब यही था।
उत्पाद विभाग के वरीय अधिकारी ने बक्सर खबर को बताया कि हमारे यहां 2 इंस्पेक्टर व पांच दरोगा के पोस्ट है। जबकि बर्तमान में एक जमादार व एक प्रमोशनल दरोगा है। जो कि कुछ माह में रिटार्यड कर जायेगे। उसमें सौ से अधिक काम है। कई महिने से छुट्टी मांग रहे है। परन्तु अनुमति नही दी जा रही है। होमगार्ड के जवान हड़ताल पर है। 18 सिपाही मिले है जिनमें 12 रंगरूट है। इनको कहां-कहां भेजा जाये। समझ जाये की इतने बड़ी लड़ाई में निहत्थे मैदान में उतार दिया गया है। जाओ लड़ो-भीड़ों पकड़ो। नही पकड़े तो नौकरी से जाओ। इसकी भरपाई के लिए डीएम साहब द्वारा मजिस्ट्रेट की तैनाति की गयी है। परन्तु अभी तक कारगर साबित नही हो रहा है।
क्या कहते है एसपी
बक्सर खबरः पुलिस कप्तान उपेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि सच्चाई है कि मैन पावर की कमी है। पुलिस अपना काम जिम्मेदारी पूर्वक कर रही है। गंगा तटवर्तीय इलाका होने के कारण परेशानी हो रही है। उसके बावजूद भी तस्कर पकड़े जा रहे है।शुरू में पब्लिक सूचना देती थी। परन्तु बड़ा मुनाफा देख खुद तस्कर बन गये है।
क्या कहते है उत्पाद अधीक्षक
बक्सर खबरः उत्पाद अधीक्षक मनोज कुमार ने कहा कि मैन पावर की तो कमी है ही। उपर से लम्बा गंगातटवर्तीय इलाके होने के कारण तस्कर असानी से शराब को शहर में ला रहे है। सूचना मिलते ही पकड़े जा रहे है।