बक्सर खबर : भारतीय परंपरा के अनुसार अखंड सौभाग्य के लिए हरतालिका तीज व्रत रविवार को मनाया जाएगा। पंचाग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। जिसे ग्रामीण परिवेश में तीज व्रत के नाम से लोग जानते हैं।
क्यों करते हैं व्रत
बक्सर : हरतालिका व्रत सौभाग्यवती स्त्रियां अपने अक्षय सौभाग्य, सुख हेतु भक्ति भाव से इसे मनाती हैं। कुंवारी लड़कियां भी अपने मन अनुरुप पति के लिए यह व्रत रखती हैं।” हर” नाम भगवान शंकर का है। कभी भगवान भोले को पति रुप में प्राप्त करने लिए माता पार्वती ने यह व्रत किया था। इस लिए व्रत का नाम हरतालिका तीज व्रत हो गया।
कैसे और कब करें पूजा
बक्सर : पंडित नरोत्तम द्विवेदी ने बताया कि व्रत रखने वाली महिलाएं रविवार को सूर्योदय के साथ सोमवार के सूर्योदय तक उपवास( अन्न व जल नहीं ग्रहण करते) करती हैं। इसमें बालू अथवा मिट्टी को गंगाजल का प्रयोग शिवलिंग व माता पार्वती का प्रतीक बना लेना चाहिए। ऐसा विधान है कि हस्तक नक्षत्र में ही पूजा होती है। रविवार को यह नक्षत्र एवं तृतीया तिथि अपराह्न 4.51 तक है। इस लिए व्रती महिलाएं दोपहर के बाद इस समय से पहले ही व्रत की कथा एवं पूजन संपन्न कर लें। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार भगवान शिव की आराधना ऊॅं हराय नम:, ऊॅं महेश्वराय नम:, ऊॅं शंभवे नम: , ऊॅं शिवाय नम: ऊॅं महादेवाय नम: ,ऊॅं पशुपतये नम: आदि मंत्रों से करनी चाहिए। मां पार्वती की आराधना ऊॅं उमायै नम:, ऊॅं पार्वत्यै नम:, ऊॅं जगद्धात्र्ये नम: आदि मंत्रों से की जाती है।