बक्सर खबर : पांच साल बाद जब सत्येन्द्र कुमार मंगलवार को अपने गांव आया तो पूरा परिवार अवाक रह गया था। जिस बच्चे को कभी मरा हुआ समझ कर गंगा में प्रवाहित किया गया था। वह सबके सामने था। लेकिन, उसमें दो अंतर साफ दिख रहे थे। एक तो वह युवा हो गया था। दूसरे वह योगी बन चुका था। गांव वालों ने बुधवार की सुबह बताया कि वह रात के वक्त ही योगियों के साथ यहां से लौट गया। सुबह गांव वाले उसे देखने पहुंचे तो पता चला रात को किसी वक्त वे लोग लौट गए। किसी को पता ही नहीं चला। इसकी चर्चा पूरे दिन नावानगर थाना के आथर बिंद टोली में होती रही।
आया था तब से था उदास
बक्सर : सत्येन्द्र जब गांव आया तो उसके चेहरे पर उदासी थी। जैसे वह अपने मांता-पिता परिवार को मिस कर रहा था। पूछने पर भी वह लोगों से बात नहीं कर रहा था। लोग सोच रहे थे वह कुछ अनमना महसूस कर रहा है। पर जब वह रात में अचानक निकल गया। तब लोगों को समझ में आया कि शायद इसी लिए वह ऐसा खामोश था।
साथ वाले भी नहीं बता रहे थे अपना नाम
बक्सर : सत्येन्द्र को उसके गांव लेकर आए पांच योगी भी पूछने पर कुछ नहीं बता रहे थे। उनका नाम क्या है। यह बार-बार पूछने पर भी उन लोगों ने नहीं बताया। इतना जरुर कह रहे थे कि हम लोग उज्जैन के रहने वाले हैं। पर शायद ऐसी परंपरा है कि जो योगी बन गया। वह अपने घर नहीं रह सकता। हां उसे एक बार अपने घर भीक्षा मांगने जाना होता है। ऐसी बातें वृद्ध लोग बताते हैं। यह वाकया एक बार फिर सच साबित हुआ।