बक्सर खबर : राष्ट्रपति द्वारा चुणामणी पद से विभूषित विद्वान पंडित दीप नरायण द्विवेदी का शनिवार की दोपहर स्वर्गवास हो गया। 93 वर्ष से अधिक की आयु पूरी कर चुके बाबा बसाव स्थित संस्कृत महा विद्यालय के पूर्व प्राचार्य थे। इन्हें चतुष्टक विद्वान होने के कारण यह पुरस्कार मिला था। वेदाचार्य, ज्योतिषा चार्य, व्याकरणाचार्य व आचार्य की उपाधी मिली थी। जिले में संस्कृत के सबसे बड़े विद्वानों में वे एक थे। चरित्रवन स्थित अपने आवास पर इन्होंने अंतिम सांस ली। इनके अंतिम दर्शन को शहर के लोग बड़ी संख्या में आवास तक गए। शोक प्रकट करने वालों में पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर जी के प्रतिनिधि रहे कमलेश सिंह, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष बबन उपाध्याय, राजद अध्यक्ष शेषनाथ यादव आदि थे। इनके पौत्र नरोत्तम द्विवेदी ने बताया कि उनके ज्येष्ठ पुत्र रामप्रसन्न द्विवेदी इन्हें मुखाग्नि दी। चरित्रवन स्थित श्मशान घाट पर देर शाम उनका पार्थिव शरीर पंच तत्व में विलीन हो गया। बाबा के परिवार में पौत्र से बहुएं भी उच्च पदों पर आसिन हैं।
काफी ही अच्छे व्यक्ति थे और समाज के लिए काफी कुछ किया है इन्होंने। इनकी मेहनत और महानता को चंद शब्दों में वर्णन नही किया जा सकता मेरी तरफ से, लेकिन इनकी कमी हमेशा खलेगी।
भगवन इनकी आत्मा को शांति दे।